19.12.2020 शनिवार को श्री महावीर मन्दिर पटना के तत्त्वाधान में श्रीरामजानकी विवाह का भव्य आयोजन किया गया। इस वर्ष कोविड-19 के निर्देशों का का पालन भी कराया गया है। थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है, बिना मास्क के श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित है तथा दूरी बनाकर बैठाने की व्यवस्था की गयी । फिर भी, उपस्थित सभी श्रद्धालु अत्यन्त शांत भाव एवं प्रसन्न मुद्रा में बैठे रामजानकी विवाह के प्रदर्शन एवं गायन का भरपूर आनन्द ले रहे थे।
मिथिला से परम्परागत श्रीसीताराम विवाह मिथिला मण्डली के द्वारा प्रस्तुत इस द्विदिवसीय कार्यक्रम ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस कार्यक्रम में श्रीराम के रूप में कुमार आसिक राज एवं श्रीसीता के रूप में श्री अतुल कुमार ने भाग लिया। । श्री शिवचन्द्र चौधरी दशरथजी की भूमिका में प्रशंसित रहे।
इस कार्यक्रम का संचालन श्री विपिन कुमार ठाकुर ने किया। व्यास श्री चन्दनाथ चौधरी तथा सहायक श्री ललित चौधरी ने रामचरितमानस के गायन से सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया। इसके अतिरिक्त श्री देवेन्द्र चौधरी, रामशंकर चौधरी, श्री रवीन्द्र चौधरी, चन्द्रेश्वर चौधरी ने उनकी संगत करते हुए रामचरित मानस का गायन किया। महावीर मन्दिर के तबला-बादक श्री निरालाजी, एवं श्रीधरजी ने विभिन्न वाद्ययंत्रों पर संगत किया।
कार्यक्रम का आरम्भ श्रीगणेश वंदना “गाइये गणपति जी के वंदन संकर सुमन भवानी जी के नंदन” से हुआ। इस वंदना का गायन इतना आकर्षक था कि सभी दर्शकों के मुख से वाह-वाह की ध्वनि स्वतः निकल पड़ी।
जयमाला का प्रदर्शन अपने आप में इतना आकर्षक था कि सभी दर्शकों की आँखें स्वतः रामजानकी की ओर खींची-खींची रह गई। राम थोड़े लम्बे थे एवं जानकी थोड़ी छोटी। इस दृश्य को कलाकारों ने निम्न पंक्तियों में व्यक्त किया- ‘झुकि जाऊ तनिक रघुवीर, लली मोरि छोटी सी’। पुनः बारात आगमन हुआ जिसमें एक अनोखा प्रदर्शन किया गया। इस दृश्य का वर्णन कलाकारों ने इस गीत से किया- ‘मंगलमय दिन आजु हे रघुपति घर आयल’। बारातियों को हास्य भरी गालियाँ भी सुनाई गयी- स्वागत में गाली सुनाउ मोरी सखिया….।
इसके साथ बीच बीच में हास्यमय रूपक के आयोजनों से वातावरण बनाने में सहायता मिली है। बारात में आये लोगों ने भी विवाह के गीतो का बड़ा ही सुन्दर गायन किया। सचमुच यह एक सामूहिक गान जैसा लगा और इनके साथ हरमुनिया एवं तबला वादक कलाकारों ने अपनी कला का बड़ा ही अपूर्व परिचय दिया। दर्शक झूम उठते थे। सभी दर्शकों की आँखें मंच पर उपस्थित कलाकारों पर टिकी थीं। दुलहा परीक्षण के गीत जिसके बोल “आजु परिछू माई रघुवर के आजु शुभ दिन आयल” भी बड़े सुहावने थे। खासकर राम इस रूप में दिखाई पड़ रहे थे जैसे शरीर धरण कर साक्षात् राम ही उतर आये हों। परीक्षण के अवसर पर ‘आनन्द-आनन्द आज शुभे हो शुभे का गायन सुनकर लोग गदगद हो गये। सिन्दूर दान के अवसर पर गाया गया गीत लोगों के द्वारा बड़ा ही सराहा गया और दर्शकों के मुख से भी गीत की पंक्तियाँ दोहराई जाने लगी। सिन्दूर बेचने वाला आया हुआ है इस दृश्य को कलाकारों ने अजीव सजीवता से उपस्थित किया- ‘कौन नगर के सिन्दुरिया, सिन्दूर बेचे आइल हे। माई हे कौने नगर के कुमारी धिया सिन्दूर वेसाहल हो।’
दर्शक श्रद्धालुओं ने भी भावविभोर होकर इस अबसर पर अपने प्रासंगिक गीतों की प्रस्तुति दी, जिससे कार्यक्रम में चार चाँद लगे।
एक दर्जन से अधिक कलाकारों की इस मंडली ने आज जयमाल, बारात आगमन, दुलहा परीक्षण, तिलक, कन्या निरीक्षण, सिन्दूर दान एवं कोहवर-जैसे कार्यक्रमों का विभिन्न गीतों के द्वारा सुरुचिपूर्ण प्रदर्शन किया।
कल दिनांक 20.12.2020 को इसी मंच पर अप. 2:00 बजे से संध्या 7:00 बजे तक ‘राम-कलेवा’ एवं बिदाई का आयोजन होगा। आप सभी श्रद्धालु उक्त अवसर पर सादर आमंत्रित हैं।