अमित यादव/सीवान : समान काम का समान वेतन की मांग को लेकर नियोजित शिक्षकों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है। इस क्रम में शनिवार को बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले सिवान जिले में सैकड़ों की तादाद में नियोजित शिक्षक सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरे और जमकर आक्रोश का प्रदर्शन किया। शिक्षकों का यह प्रदर्शन गांधी मैदान से शुरू हुआ जहां पहले सभा हुई।
सीवान में एकदिवसीय धरना में शिक्षकों ने दिखाई अपनी ताकत, उमड़ा शिक्षकों का जनसैलाब देखिये live…* *:SIWAN NEWS:*
सभा को संबोधित करते हुए टीईटी एसटीईटी नियोजित शिक्षक संघ के अध्यक्ष रजनीश कुमार मिश्रा और महासचिव श्रीकांत सिंह ने कहा कि सरकार की शिक्षा और शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ नियोजित शिक्षक लगातार संघर्ष कर रहे हैं। सरकार के स्तर से आंदोलन को कुचलने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है लेकिन हम कहीं भी झुकने वाले नहीं हैं।उपाध्यक्ष कुमार सौरभ और राजीव सिंह ने कहा कि पूर्ण वेतनमान की मांग संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है लेकिन सरकार शिक्षकों को नियोजन इकाई के कर्मी बताकर सुप्रीम कोर्ट तक को गुमराह कर चुकी है जबकि सारे काम बिहार सरकार का शिक्षा विभाग ही हमसे लेता है।
प्रगतिशील प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष मंगल कुमार साह और शिक्षक नेता वसी अहमद गौसी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार की दमनात्मक कार्रवाई की हम कड़ी निंदा करते हैं। 18 जुलाई को पटना में आक्रोश पूर्ण प्रदर्शन के द्वारा नियोजित शिक्षक सरकार को अपनी चट्टानी एकता और ताकत का एहसास करा चुके हैं। यह सरकार शिक्षक हित में हर मोर्चे पर फेल है और इस अहंकारी सरकार के विरुद्ध हमारा आंदोलन लगातार तब तक जारी रहेगा जब तक पूर्ण वेतनमान और नियमित शिक्षकों की तरह समान सेवा शर्त लागू नहीं कर देती है।
शिक्षक नेता राजेश्वर कुमार और मोहम्मदीन अंसारी ने कहा कि सरकार को नियोजित शिक्षकों के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करनी चाहिए। नियोजित शिक्षक भी इसी बिहार के शिक्षा विभाग के अंग हैं और शिक्षक सम्मानजनक ढंग से जीवन यापन कर सकें इसके लिए सम्मानजनक वेतनमान देना सरकार का नैतिक दायित्व बन जाता है।
शिक्षक नेता सतीश श्रीवास्तव और राजीव रंजन तिवारी ने कहा कि पूर्ण वेतनमान की मांग बिल्कुल न्यायोचित है। इसमें किसी भी स्तर से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। सरकार अपने विधायकों और सांसदों का वेतन और पेंशन सहित अन्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए एक स्वर में निर्णय ले लेती है लेकिन जब समाज का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षकों की बात आती है तो सम्मानजनक वेतनमान देने में सरकार के हाथ-पांव फूल जाते हैं यह सरकार की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।
शिक्षक नेता गौतम कुमार मांझी राजेश यादव ने कहा कि सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत छात्रों के लिए अलग अलग स्कीम लांच कर रही है यहां तक तो बात ठीक है लेकिन शिक्षकों के बच्चे भी सम्मानजनक ढंग से जी सकें और सम्मानजनक जीवन यापन करने में शिक्षकों के परिवार वालों को भी कोई समस्या ना हो इसके लिए सरकार कोई विचार नहीं कर रही है बल्कि शिक्षकों को कोर्ट कचहरी के चक्कर में उलझा कर रखे हुए हैं ऐसी परिस्थिति में किस मानसिकता के तहत शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाएंगे?
बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राकेश सिंह, सचिव अशोक कुमार प्रसाद और संयुक्त सचिव इरफान अली ने कहा कि समय की मांग है कि सरकार को नियोजित शिक्षकों की मांगों पर उदारता पूर्वक विचार करना चाहिए और इस न्यायोचित मांग समान काम का समान वेतन को तत्काल प्रभाव से लागू कर देना चाहिए।
सभा को रविकान्त उपाध्याय, सुधीर कुमार शर्मा और वसी अहमद गौसी सहित अन्य शिक्षक नेताओं ने भी संबोधित किया। इसके बाद शिक्षकों का आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन जुलूस की शक्ल में गांधी मैदान से निकलकर कचहरी रोड होते हुए जेपी चौक होकर कलक्ट्रेट के पास पहुंचा जहां शिक्षक धरना पर बैठ गए। इसके बाद शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा और ज्ञापन के माध्यम से नियोजित शिक्षकों ने पूर्ण वेतनमान और नियमित शिक्षकों की तरह समान सेवा शर्त की मांग सहित अन्य स्थानीय मांगो को सरकार तक पहुंचाया।