सीवान । धान की फसल की के लिए जुलाई व सितंबर की बारिश बहुत ही मायने रखती है। पिछले कई सालों से जिले में जुलाई महीने में अच्छी बारिश नहीं हुई। यानी सामान्य वर्षापात के मुकाबले कम बारिश हुई। लेकिन इस साल जो बारिश हुई है, पिछले कई सालों का रिकार्ड तोड़ कर रख दिया है। गौर करने वाली बात है कि इस महीने में 339.10 एमएम बारिश की जरूरत होती है। लेकिन अभी तक 699.13 एमएम बारिश हो चुकी है। हालांकि इस महीने की शुरुआत वाली बारिश खेती-किसानी के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं थी। क्योंकि उस समय की बारिश ने जहां मक्का व अरहर की फसल को प्रभावित किया। वहीं उस समय धान का बिचड़ा छोटा होने से उसे भी नुकसान पहुंचा। कई जगह धान का बिचड़ा बारिश के पानी में डूब गया। इस कारण किसानों को दोबारा बिचड़ा डालना पड़ा। जून महीने तक मॉनसून की दगाबाजी के कारण किसानों को मौसम पर कोई भरोसा नहीं था। इसलिए किसान धान का बिचड़ा तक नहीं डाले थे। देर से बिचड़ा डालने के चलते नुकसान हुआ। पहली बारिश जब हुई तो तब भी किसानों को भरोसा नहीं था वे धड़ल्ले से मक्का व अरहर की बोआई में जुट गए। लेकिन इसके बाद जब लगातार बारिश हुई तो बीज को अंकुरने के बाद बाहर निकलने में दिक्कत आ गई। इससे फसल प्रभावित हुई।
इन तिथियों में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई
एक जुलाई को 2.18 एमएम, पांच को 2.84 एमएम, छह को 5.11 एमएम, सात को 2.19 एमएम, आठ को 57 एमएम, नौ को 122 एमएम, दस को 58 एमएम, 11 को सुबह आठ बजे तक 63 एमएम, 12 को 2.35 एमएम, 20 को 4.33 एमएम, 21 को 7.82 एमएम, 23 को 2.75 एमएम, 25 को 10.54 एमएम, 26 को 19.46 एमएम व 27 को 15.84 बारिश दर्ज की गई है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
अब जो बारिश हो रही है। इसका फायदा किसान उठा रहे है। जिनका बिचड़ा तैयार हो गया है, वे रोपनी शुरू कर चुके हैं। इसी तरह रूक-रूक कर बारिश होती रहेगी, तो बहुत राहत मिलेगी। धान रोपनी का लक्ष्य तेजी से पूरा होगा।
अशोक कुमार राव, जिला कृषि पदाधिकारी, सिवान